निजामुद्दीन स्थित जिस तबलीगी जमात काे काेराेना के सबसे बड़े कैरियर के रूप में देखा जा रहा है, वह पुलिस की नजर में काफी पहले आ गई थी। मरकज में हजारों लोगों की भीड़ थी। इस बारे में पता चलने पर 21 मार्च को पुलिस ने उसे जल्द खाली करने की हिदायत दी। इस बीच पुलिस ने मरकज में सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाए जाने का गोपनीय तरीके से वीडियो भी बना लिया। 12 दिन चली लंबी जद्दोजहद के बाद 1 अप्रैल को तड़के इस सेंटर को पूरा खाली करा लिया गया। इसके लिए लगातार 36 घंटे सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इस पूरे ऑपरेशन में पांच अफसरों की अहम भूमिका रही।
रोक के बाद भी मूवमेंट कर रहे थे नुमाइंदे
दिल्ली पुलिस के एक सीनियर अफसर ने बताया कि 16 मार्च को दिल्ली सरकार किसी भी तरह के धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक कार्यक्रमों पर रोक लगा चुकी थी। 22 मार्च को पीएम मोदी ने जनता कर्फ्यू का ऐलान किया। इसके एक दिन पहले ही पुलिस ने मरकज के मुखिया मौलाना मोहम्मद साद को सेंटर खाली करने की हिदायत दे दी थी। लेकिन उनका रवैया टालमटोल वाला रहा। जनता कर्फ्यू वाले दिन यही लोग सड़क पर मूवमेंट करने लगे। 24 मार्च को मरकज कमेटी के कुछ लोगों को एसएचओ मुकेश वालिया ने निजामुद्दीन थाने बुलाया और उन्हें बकायदा, एक नोटिस जारी कर दिया। इन लोगों का तर्क था कि वे 23 मार्च को लगभग 1500 लोगों को वहां से निकाल चुके हैं।
मरकज का गेट खुलवाकर पुलिस ने पूछा किसी को सर्दी-खांसी, बुखार तो नहीं तो मना कर दिया
26 तारीख को एडीएम और पुलिस अधिकारी मरकज पहुंचे। किसी तरह से उन्हाेंने मरकज का दरवाजा खुलवा अंदर प्रवेश किया था। मरकज में लोग एक-दूसरे से सटे बैठे और लेटे नजर आए। पहले दिन जब पुलिस इस सेंटर में पहुंची थी, तब सभी से पूछा गया था कि वहां किसी को खांसी, जुकाम और बुखार की शिकायत तो नहीं। पुलिस सूत्रों का कहना है मामले की गंभीरता को देख 28 मार्च की देर रात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल तक को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था।
भीषण दुर्गंध, नहीं मिले मास्क और सेनिटाइजर
पुलिस का कहना है कि मरकज के अंदर हालात बेहद खतरनाक थे। वहां काफी दुर्गंध उठ रही थी। रैक में भारी संख्या में जूते- चप्पलों का ढेर लगा मिला। सोशल डिस्टेसिंग तो थी ही नहीं। न तो वहां सेनिटाइजर था और ना ही लोगों ने मास्क पहन रखा था। मामला मीडिया में तूल पकड़ चुका था, जिसके बाद 30 मार्च की दोपहर साढ़े तीन बजे सेंटर खाली कराने का काम शुरू हुआ, जो एक अप्रैल की तड़के लगभग चार बजे खत्म हुआ। एक पुलिस अधिकारी ने बताया मरकज में एसडीएम के साथ डब्लयूएचओ की टीम भी निरीक्षण के लिए गई थी। जिसके बाद ही वहां पर एसडीएम ने पहुंचकर मरकज को पूरी तरह खाली कराने का काम शुरू किया। 26 मार्च से लेकर 31 मार्च तक हर दिन वहां पर एसडीएम गए।
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