 
(गुरुदत्त तिवारी)पुणे से 37 किमी दूर तलेगांव में नरेश पाटिल समेत 23 किसान 75 एकड़ जमीन पर गुलाब की ग्रुप फार्मिंग करते हैं। लेकिन इस बार गुलाब खेतों में ही झड़ चुके हैं। 15 दिन में 1.25 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। कमोबेश यही हालात फूलों के कारोबार से जुड़े एक लाख से ज्यादा किसान और कारोबारियों के हैं। रिसर्च फर्म्स के मुताबिक काेराेना संकट के चलते सिर्फ शादियों में डेकोरेशन न हाेने से 3900 करोड़ रुपए का घाटा हो सकता है। यदि चैत्र नवरात्र के 700 करोड़ के घाटे को मिला दिया जाए तो इस सेक्टर का कुल घाटा 4600 करोड़ तक पहुंच जाएगा। इंडियन फ्लोरिस्ट एसोसिएशन का कहना है इस बार देश के 30 शीर्ष मंदिरों समेत कई मंदिरों में भव्य सजावट नहीं हुई। 50% कारोबार मैरिज डेकोरेशन से मिलता है लेकिन अब शादियों के लिए भी फूलों की मांग नहीं आ रही।
इस तरह हो रहा 3900 करोड़ से अधिक का घाटा
केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक देश में शादियों का बाजार 3.75 लाख करोड़ रुपए का है। करीब 5% यानी 18,750 करोड़ रुपए डेकोरेशन पर खर्च होते हैं। डेकोरेशन खर्च की 60% राशि यानी 11,250 करोड़ रुपए फूल खरीदने पर खर्च होते हैं।इस बार शादियों का बाजार 65% कम होने का अनुमान है। इसके चलते मैरिज डेकोरेशन में फूलों की मांग भी 7,320 करोड़ कम होकर 3,930 करोड़ रुपए पर सिमट जाएगी।
वैष्णोदेवी सहित 30 बड़े मंदिरों में नहीं हुई सजावट
दिल्ली की एक मशहूर कंपनी ने वैष्णोदेवी मंदिर का फ्लावर डेकोरेशन का काम करीब 1.25 करोड़ में लिया था। बाद में डेकोरेशन को रोक दिया गया। इंडियन फ्लोरिस्ट एसोसिएशन का कहना है कि इसी तरह वृंदावन, कामाख्या देवी, महाकाल उज्जैन, मां शारदा मंदिर मैहर समेत 30 मंदिरों में हर साल होने वाला भव्य शृंगार नहीं हुआ। देश के अन्य छोटे-बड़े मंदिरों में भी फूलों की सप्लाई लगभग ठप है।

बिजली का खर्च बचाने के लिए गुलाब फेंके
लोनावाला के प्रदीप ठाकर 9 किसानों के साथ मिलकर गुलाब की फार्मिंग करते हैं। उन्होंने 2 लाख गुलाब का स्टॉक इकट्ठा कर रखा था। लेकिन लॉकडाउन के बाद मांग थम गई। मजबूरन उन्हें कोल्ड स्टोरेज की बिजली का खर्च बचाने के लिए 10 लाख रु. के गुलाब फेंकने पड़े। पूरे सीजन में 2 करोड़ का नुकसान होगा।
घरों के गार्डन के फूल वहीं टूटकर गिर रहे
शिलांग में सैकड़ों लोग छोटी- छोटी जगह पर फूल उगाते हैं। फिर, उन्हें टोकरों में रखकर पर्यटकों या फिर बड़े व्यापारियों को बेचते हैं। अब घरों के गार्डन में लगे फूल वहीं टूट-टूटकर गिर रहे हैं। हर किसान को औसतन 5 से 7 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। यहां आर्किड, जरबेरा और जेहखई जैसे फूल मिलते हैं।
15 दिन से पूरे देश में फूलों की कटिंग नहीं कर रहे किसान
- साल का 40% कारोबार मार्च से जून में होता है, लेकिन इस बार 15 मार्च के बाद से डिमांड पूरी तरह खत्म हो चुकी है। लॉकडाउन अगर खत्म भी हो गया तो सोशल डिस्टेंसिंग लंबे समय तक जारी रहेगी। ऐसे में जून तक फूलों का कारोबार बढ़ने की कोई उम्मीद नहीं है। - आनंद कुमार, चेयरमैन, इंडियन फ्लोरिस्ट एसोसिएशन, नई दिल्ली
- 65% विवाह मुहूर्त प्रभावित हो रहे हैं। लोगों ने या तो शादी टाल दी है या फिर बिलकुल छोटे पारिवारिक समारोह में शादी करने की सोच रहे हैं। हमने डेकोरेशन के दिए गए ऑर्डर या तो कैंसिल कर दिए हैं या फिर उन्हें होल्ड पर रख दिया है। - श्रीकांत कनोई, सीईओ, एथर्नल सेलिब्रेशन मैनेजमेंट, बैंगलूरू
ट्रैक्टर में भरकर फेंक रहे मेहनत से उगाए फूल
लुधियाना से 40 किलोमीटर दूर दोराहा गांव में अजय शर्मा जरबेरा, कारनेशन और देशी गुलाब की खेती करते हैं। यहां से फूल चंडीगढ़ और दिल्ली जाते थे। यदि फूलों की मांग नहीं होती तब दूसरे व्यापारी थोड़ी खराब क्वालिटी के गुलाब से ज्यूस और गुलुकंद बना लेते हैं। अब राेजाना 5000 कट रोज और 2000 जरबेरा फेंके जा रहे हैं।
प्लेन से जाते थे फूल, 15 दिन से कोई ऑर्डर नहीं
तिरुवनंतपुरम (केरल) से लगे नवाईकुलम गांव के मधुशंकर के 5 एकड़ खेत में आर्किड, हेलिकोनिया के फूल झड़ रहे हैं। बीते 15 से मधुशंकर के पास कोई नया ऑर्डर नहीं आया है।
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