(मंगेश फल्ले) एकआंगनवाड़ी कार्यकर्ता 12 दिन तक वेंटिलेटर पर रही और अब रिकवर हो गई है। हालांकि उसके जरिए पूरे परिवार को संक्रमण हो गया। साथ ही 28 अन्य गांवों तक संक्रमण का खतरा पहुंच गया। जानकारी के मुताबिक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कोरोना मरीजों के स्क्रीनिंग के काम मेंलगी थी और आशंका है किइसी दौरान संक्रिमत हुई, क्योंकि महिला थर्ड स्टेज की संक्रमित है। तबियत बिगड़ने पर महिला को फैमिली डॉक्टर को दिखाया।
28 गांवों को क्वारैंटाइन किया
उसे पहले से दमे की बीमारी थी। पहले डॉक्टरों को लगा कि सांस लेने में दिक्कत दमे के कारण है और उसी का इलाज भी किया गया। इस बीच, महिला सर्वे का काम करती रही। 14 मार्च तक स्थिति बिगड़ गई। एक्स-रे में पता चला कि निमोनिया है। 16 मार्च को तबियत ज्यादा बिगड़ी तो उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। 19 मार्च को कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया। इस पर प्रशासन ने हरकत में आते हुए 28 गांवों को क्वारैंटाइन किया, जहां महिला स्क्रीनिंग के लिए गई थी। फिर पति और 17 साल का बेटा भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
परिवार के सदस्य भी हॉस्पिटल में रखा गया
महिला की बहन का परिवार भी कोरोना संक्रमित मिला, जिसके बाद सभी को होम क्वारेैंटाइन किया गया। इसके बाद परिवार को हॉस्पिटल में रखा गया। अब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की पहली रिपोर्ट निगेटिव आई है। उन्हें अब दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने की उम्मीद है। परिवार के बाकी सदस्य भी 11 दिन से हॉस्पिटल में हैं।
ठीक होने में सकारात्मक व्यवहार काम आया
महिला के ठीक होने में सबसे महत्वपूर्ण आसपास के लोगों का सकारात्मक व्यवहार रहा। कार्यकर्ता के पति और बहन ने उससे कहा था कि बीमारी कितनी भी भयंकर हो, पॉजिटिव बनी रहो। तुम जल्दी ठीक हो जाओगी। पुणे के डॉ. शिवकुमार अय्यर, डॉ. जिग्नेश शाह, डॉ. प्रशांत झेडगे और नर्स स्टाफ नेआंगनवाड़ी कार्यकर्ता का इलाज किया।
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