मुंबई. कोरोनावायरस का डर लोगों के जीवन के हर हिस्से को प्रभावित कर रहा हैं। आपात स्थिति की आशंका में लोग बैंकों से भारी मात्रा में कैश निकाल रहे हैं। रिजर्व बैंक की ओर से 13 मार्च को खत्म हुए पखवाड़े में जमाकर्ताओं ने 53,000 करोड़ रुपए की नकदी बैंकों से निकाली है। यह बीते 16 महीनेमें नकद निकासी का उच्चतम स्तर है।
आरबीआई के मुताबिक इतनी बड़ी निकासी सिर्फ त्यौहारों या चुनाव में होती है। बैंकिंग सिस्टम के जरिए जनता को करेंसी सप्लाई करने वाले केंद्रीय बैंक ने बताया कि उसने पिछले 15 दिन में इतना कैश जारी किया है। 13 मार्च तक लोगों के पास कुल 23 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा थी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भले ही डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ा है, लेकिन आपात स्थिति के चलते लोगों में सावधानी और डर का पहलू हावी है।
लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर जरूरी चीजों की खरीदारी कैश में होगी
स्टेट बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट एसके घोष ने अपने हालिया रिसर्च नोट में लिखा था कि, लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर जरूरी चीजों की खरीदारी कैश में होगी। अचानक से नकदी की डिमांड बढ़ने की स्थिति में बैंकों को कैश की डिलीवरी सुनिश्चित करनी होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, बैंकों से नकद निकासी में वृद्धि का बैंक जमाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव के समय के दौरान यह बाजार में तरलता की स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
ऑनलाइन सर्विस कम होने से कैश की जरूरत बढ़ी
एक्सिस बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि लोग आशंकित थे कि इस हालात में वो बैंक और एटीएम तक पहुंच पाएंगे कि नहीं। लिहाजा एहतियात के तौर पर लोग ने भारी निकासी की। बैंक ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को प्रमोट कर रहे हैं लेकिन फ्लिपकार्ट जैसी कई ई-कॉमर्स कंपनियों ने डिलीवरी सर्विस सीमित कर दी है। इस वजह से भी लोग ऑफलाइन खरीदारी कर रहे हैं, जिसके लिए कैश की जरूरत पड़ रही है। किराना सामान और दूसरे ऑनलाइन खरीदारी वाली चीजें अब लोकल दुकानदारों के पास शिफ्ट हो गई हैं।
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